भगवान श्रीकृष्ण की 8 रानियां कौन थीं? क्या है 16 हजार पत्नियों की असल कहानी
श्रीकृष्ण की 16 हजार से ज्यादा पत्नियां थीं,
यह बात लोग अक्सर किसी चर्चा के दौरान बोल देते हैं. इसकी कथाएं पुराणों में मिलती भी हैं. हालांकि, जो लोग इस बारे में नहीं जानते या जिन्हें आधा सच पता है, उनके लिए जरूरी है कि वे धर्मग्रंथों का अध्ययन करें. महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखित 18 पुराणों में से 10 में कृष्ण (Lord Krishna) का भरपूर वर्णन है, तो वहीं 11 जैन अंग सूत्रों में से 5 में तथा उत्तराध्ययन सूत्र में भी उनके जीवन पर खासा विश्लेषण हुआ है.
श्रीकृष्ण के जीवन पर रचे गए काव्य ‘प्रेम सागर’ में बताया गया है कि श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां थीं,
जिनसे उन्होंने स्वयं विवाह किया. उनमें सबसे पहली थीं- रुक्मणि. रुक्मणी जी देवी लक्ष्मी का अवतार मानी गई हैं. वह विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं. श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी हरण कर प्रेम विवाह किया.
प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू रुक्मिणी के ही पुत्र थे.
रुक्मिणी के अलावा जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा भी श्रीकृष्ण की पत्नियां थीं. इन सभी स्त्रियों के 10-10 पुत्र और एक-एक पुत्री उत्पन्न हुईं.
यह है 16 हजार रानियों वाली असल कहानी
श्रीकृष्ण की 8 पटरानियों के अलावा 16 हजार पत्नी और बताई जाती हैं, वे दरअसल ऐसी कन्याएं थीं, जिन्हें भौमासुर नामक दानव ने बंदी बनाकर अपने पास रखा था. श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को साथ लेकर भौमासुर से युद्ध किया और मार दिया. उसके बाद जो कोई भी भौमासुर की कैद में था, वो मुक्त हो गया.
16 हजार कन्याएं भी आजाद हुईं. हालांकि, समाज से बहिष्कृत होने के डर से उन कन्याओं ने कृष्ण को ही अपना सब कुछ मान लिया. श्रीकृष्ण ने भी उन्हें अपना बताया. आम जनमानस के बीच यहीं से यह बात चल निकली कि
श्रीकृष्ण की 16 हजार से ज्यादा पत्नियां थीं.